Thursday, February 2, 2023

क्या हम पूर्व जन्म के पाप इस जन्म में भोगते है ? | Do we suffer the sins of previous birth in this life?


मित्रों हम में से कई लोगों के मन में यह प्रश्न कई बार उठता है कि आज जो हमारी दशा है उसके पीछे आखिर कारण क्या है। आज जो हम जो सुख और दुख भोग रहे हैं ।  उसका हमारी पिछले जन्म से कोई संबंध तो नहीं है। आप सपने तो वो कहावत तो सुनी ही होगी कि जैसी करनी वैसी भरनी। 

क्या हम पूर्व जन्म के पाप इस जन्म में भोगते है ? | Do we suffer the sins of previous birth in this life?

लेकिन बहुत बार ऐसा होता है कि इंसान पूरा जीवन अच्छे कर्म करता है। फिर भी उसके जीवन में दुख ही दुख रहते हैं। लेकिन कई लोग गलत कर्म करके भी काफी खुश रहते हैं तो क्या उनके द्वारा किए गए कर्मों का फल मिलने का  यह सही समय नही है।  और क्या इन कर्मों का फल उन्हें इस जन्म  में मिलेगा भी या नहीं। 


आज के इस पोस्ट में हम आपके इसी प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश करेंगे। पोस्ट में आगे बढ़ने से पहले आपलोगो से कहना चाहता हूं। कि अगर आपलोगो को भी High quality Article लिखवाना है। तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। 


क्या हम पूर्व जन्म के पाप इस जन्म में भोगते है ? | Do we suffer the sins of previous birth in this life?

मित्रों आपने देखा होगा कि कई लोगों को इस बात से शिकायत रहती है कि मैंने तो अपने जीवन में कभी किसी का अहित नहीं किया तो फिर मेरे साथ गलत क्यों हुआ। वहीं कई बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि कई लोग गलत करके भी सुविधा संपन्न ही दिखाई देते हैं। इस बात को समझने के लिए हमें भगवान श्री कृष्ण द्वारा कही गई एक कथा का जानना जरूरी है  


जो कुछ इस प्रकार है। महाभारत के युद्ध का दसवां दिन था और भीष्म पितामह बाणों की शैया पर लेटे हुए थे। युद्ध समाप्ति के बाद एक दिन श्री कृष्ण पांडव सहित भीष्म पितामह से आशीर्वाद लेने पहुंचे। तब भीष्म ने श्रीकृष्ण से प्रश्न किया हे वासुदेव मेरे यह कौन से कर्म का फल है । 


जो मैं 18 दिनों से बाणों की शैया पर पड़ा हुआ हूं। भीष्म पितामह की बातें सुनकर पहले तो मधुसूदन मुस्कुराए और फिर बीच में से पूछा। पितामह क्या आपको अपने पूर्व जन्मों से जुड़े हुए कर्मों का ज्ञान है। यह सुनकर पितामह बोली। हा कृष्ण मुझे अपने पूर्व जन्मों का ज्ञान है कि मैंने इन 100 जन्मों में कभी किसी व्यक्ति का अहित नहीं किया। 


पितामह की बातें सुनकर श्री कृष्ण फिर मुस्कुराए और बोले पिता महा आपने सही कहा कि 100 जन्मों में आपने कभी भी किसी का अहित नहीं किया ।  लेकिन 101 दिन पूर्व जन्म में आपने आज की तरह ही राज वंश में जन्म लिया था और अपने अपने पुण्य कर्मों से बार-बार राजवंशों में जन्म लेते रहे। 


लेकिन उस दिन में जब आप युवराज थी तब आप शिकार खेल कर एक बार जंगल से लौट रहे थे। तभी आपके घोड़े के अग्रभाग पर एक कार्यकर्ता वृक्ष के नीचे आ गया। फिर आपने अपने पास से उठाकर उसे पीठ के पीछे की तरफ फेंक दिया। उस समय वह करके हटा एक कांटेदार वृक्ष पर जा गिरा और उस करकेटी की तड़प तड़प कर मृत्यु हो गई । 


किंतु आपके कर्म में काफी अच्छे थे इसलिए उस सराफ का असर आप पर नहीं हुआ किंतु द्रौपदी के चीरहरण के समय आप आपके उत्तम कर्मों को शरण कर गया और उसका श्रॉफ सक्रिय हो गया और आप की यह दशा आपके उसी श्रॉफ का फल है। 


इस कथा को सुनने के बाद मित्रों हमें यही समझ आता है कि आपको अपने कर्मों का फल आज नहीं तो कल भुगतना ही पड़ेगा और कर्मों के अनुसार ही जन्म होता है। इसलिए मित्रों कर्मों को बहुत सोच समझ कर करना चाहिए ।  क्योंकि क्या पता कब उसका फल हमें किस रूप में मिले हैं ।


तो मित्रों और दीजिए हमें इजाजत आशा करता हूं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी। तो आज के लिए बस इतना ही ओर हमारे साथ बने रहने के लिए आप सभी को दिल से धन्यवाद ,,,



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