Friday, December 22, 2023

गरुड़ पुराण के अनुसार कैसा होता है यमलोक ।। क्या कहते है श्री कृष्ण


गरुड़ पुराण के अनुसार कैसा होता है यमलोक क्या कहते है श्री कृष्ण, श्री कृष्ण उपदेश।। कोंन सा पाप करना चाहिए ओर कोंन से कर्म करना चाहिए। कोंन - कोंन से कर्म के अनुशार पाप हमे लगता है। तो दोस्तो आज के इस पोस्ट में यही हमलोग जानेगे। तो चलिए पोस्ट को शुरू करते है। 

गरुड़ पुराण के अनुसार कैसा होता है यमलोक ।। क्या कहते है श्री कृष्ण

गरुड़ पुराण के अनुसार कैसा होता है यमलोक ।। क्या कहते है श्री कृष्ण

गरुड़ पुराण, का अध्ययन अक्सर किसी व्यक्ति के संसार से चले जाने के बाद किया जाता है। क्योंकि यह एक ऐसा पुराण है जिसमें मनुष्य के मरने के पश्चात आत्मा की संपूर्ण यात्रा का विस्तार से वर्णन किया गया है। साथ ही गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जिन आत्मायें ने पाप किया होता है।


उन्हें यमलोक में किस प्रकार दर्दनाक यातनाएं दी जाती है जो आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे। नमस्कार दोस्तों मेरा नाम है Prayag Verma और आप सभी का हमारे website पर एक बार फिर तहे दिल से स्वागत है।  तो दोस्तों अगर आप सच में भगवान श्री कृष्ण के मानते हैं तो comment में एक बार लिख दीजिए। जय श्री कृष्णा 


गरुड़ पुराण के अनुसार कैसा होता है यमलोक ।। क्या कहते है श्री कृष्ण

गरुड़ पुराण में जब गरुड़ भगवान विष्णु से जब यमलोक के विषय में प्रश्न करते हैं, तब उत्तर देते हुए भगवान यमलोक के मार्ग के बारे में बताते हुए यमलोक की व्याख्या करते हैं। भगवान विष्णु के अनुसार वास्तव में यमलोक उन्ही आत्माओं को ले जाया जाता है। 


जो पापी होते हैं, वहीं दूसरी ओर जिन आत्माओं ने अच्छे कर्म किए होते हैं जैसे दया दान आदि उनको स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। जब किसी पापी व्यक्ति की मृत्यु होती है तब यमराज के दूत उसके पास आते हैं और जैसे ही आत्मा शरीर से बाहर निकलती है तो यमदूत आत्मा को अपने साथ यमलोक ले जाते हैं।


यमलोक का रास्ता बड़ा भयानक और कष्टदायक होता है। इन रास्तों में भयंकर गर्मी होती है और पानी की एक बूंद से लेकर राख्त की छाया लेकर कुछ भी नहीं होता। यह मार्ग पिघले हुए लावा तथा कांटों से भरे हुए होते हैं। इन रास्तों में मिलने वाली प्रताड़ना से आत्मा अपने परिजनों को बहुत याद करती है। और भावों में बहकर तड़पने लगती है। इस प्रकार कष्टों को सहन करते हुए आत्मा यमलोक पहुंचती है।


गरुड़ पुराण के अनुसार यमलोक के चार द्वार हैं। 

पूर्व और दक्षिण पश्चिम में यमपुरी है या यमपुरी में यमराज समेत उनके सभी दुतु के निवास स्थान हैं। भगवान विष्णु यमराज के भवन की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि यमराज के भवन की चमक स्वर्ग के समान है और यहां अनगिनत प्रकार के पुश इस पवन को सुगंधित करते रहते हैं।


इस भवन में एक बेहद आकर्षक सिंघासन है जहां से युवराज विराजमान रहते हैं और अनेक गंधर्व और अवसर आयोग की सेवा के लिए तत्पर रहती है। यहां पर यमराज की सभा भी लगती है जिसमें केवल धर्म के मार्ग पर चलने वाली आत्माएं ही प्रवेश कर सकती है। 


ऐसी आत्माएं  जिन्होंने कभी असत्य ना कहा  हो और जो आध्यात्मिक प्रगति क्यों शांत स्वभाव के हैं और जिन आत्मये जिन्होंने दान पुण्य किया हो। साथ ही महल के मध्य में चित्रगुप्त का भवन है जो काफी आकर्षक है जहां बैठकर चित्रगुप्त आत्माओं के कर्मों का लेखा जोखा करते हैं और इसमें लिखित पापी आत्मयो के माध्यम से उन्हें यातनाएं दी जाती है।


तो मित्रों आशा करता हूं कि आपको हमारी यह पोस्ट पसंद आई होगी। अगर पसंद आई है तो पोस्ट को एक शेयर कर दीजिएगा। comment में एक बार लिख दीजिए। जय श्री कृष्णा 


तो दोस्तो आपने समझ ही गये होंगे कि आत्मा को स्वर्ग नारग जाने में कितना दर्द नाक सजाए मिलती है। दोस्तो क्या आपको इस विषय मे कुछ कहना है। तो comment box में जरूर बताये। 


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