Friday, November 22, 2024

श्री राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ ओर किस हाल में है आज ।। Lord Shree Ram Ayodhya nagari secret?


मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म कैसे हुआ और उन्होंने अपनी जिंदगी में किन-किन कार्यों को अंजाम दिया। यह तो हर कोई जानता है। अब तक कई ऐसी फिल्में बन चुकी है जिसमे भगवान राम के जीवन को दिखाया गया लेकिन बहुत ही कम लोग इस  बारे में जानते हैं।

श्री राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ ओर किस हाल में है आज ।। Lord Shree Ram Ayodhya nagari secret?

श्री राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ ओर किस हाल में है आज ।। Lord Shree Ram Ayodhya nagari secret?

कि रामायण की कहानी खत्म होने के बाद भगवान श्री राम और लक्ष्मण और उनके भाइयों का क्या हुआ। क्या भगवान श्री राम की मृत्यु हो गई और मृत्यु हुई तो उनके अंतिम संस्कार का वर्णन कहीं पर क्यों नहीं है और उससे भी बड़ा। सवाल यह कि भगवान श्री राम के पुत्र लव और कुश उन की नगरी अयोध्या का क्या हुआ।


यह तो भी ऐसे सवाल है जो आप सभी के मन में कभी न कभी जरूर आए होंगे, लेकिन उसका जवाब के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं और आज के इस पोस्ट में हम आपको रामायण की कहानी खत्म होने के बाद एक अनोखी कहानी बताएंगे। पर आज के इस पोस्ट में हम आपको यह भी बताएंगे कि भगवान श्रीराम ने अपने अंतिम वक्त में हनुमान जी को पाताल लोक में क्यो भेज दिया। और इस वक्त कहां है।


आज के पोस्ट आपके लिए बहुत ही informative होने वाला है। पोस्ट में अंत तक बने रहिएगा  यह कहानी तब शुरू होती है।


श्री राम लक्ष्मण माता सीता को क्यो बनवास जाना पड़ा? 

जब भगवान राम को लक्ष्मण और माता सीता के साथ वनवास जाना पड़ा जहां पर लंकेश भगवान राम की पत्नी सीता का हरण कर लेता है। जिसके बाद भगवान राम के परम भक्त हनुमान माता सीता की खोज करते हुए लग जाते हैं और उसके बाद भगवान राम अपनी वानर सेना को लेकर माता सीता को लंका से मुक्त कराने के लिए लंका पहुंचते हैं।


लंकेश को मृत्यु के घाट उतारने के बाद माता सीता को लेकर अपनी नगरी अयोध्या पहुंचते हैं, जहां माता-सीता के ऊपर आरोप लगने के बाद उनकी अगली परीक्षा ली जाती है और अग्नि परीक्षा देने के बाद माता सीता धरती के भीतर समा जाती हैं।


  भगवान श्री राम किसके अवतार थे? 

ओर अब बढ़ते है। इस पोस्ट के  असली टॉपिक की तरह आपको बता दे वाल्मीकि रामायण का पहला अध्याय मूल रामायण कहलाता है। जिसमे श्री राम के देह छोड़ने की बात कही गई है। 


भगवान विष्णु के कोंन से अवतार में श्री राम आता है? 

पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सीता के पृथ्वी में समा जाने के बाद विष्णु के 7 वे में अवतार यानी कि भगवान श्रीराम का पृथ्वी पर काम पूरा हो गया था और आपको वक्त निकट आ चुका था। जब श्री राम को धरती लोक त्यागकर बैकुंठ की तरफ प्रस्थान करना था। 


श्री राम जी ने हनुमान जी को पाताल लोक क्यो भेज दिया? 

भगवान श्रीराम इस बात को अच्छी तरह से जानते थे कि अगर उनका परम भक्त हनुमान उनके पास रहेगा तो कभी भी भगवान राम को पृथ्वी लोक त्यागने के लिए मंजूरी नहीं देगा। हनुमान किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होने देगा और यही वजह थी कि भगवान राम ने अपनी खोई हुई अंगूठी ढूंढने के लिए हनुमान को पाताल लोक भेज दिया।


हनुमान जैसे ही श्री राम को छोड़कर पाताल लोक की तरफ निकलते हैं। ऐसी बीच यम   भगवान राम से मिलने के लिए धरती लोक पर आते हैं यम एक  साधु बना कर बैठी लोग बनाते हैं और भगवान राम से मिलने के लिए जाते हैं तो भगवान राम को इस बात से अवगत कराने आए थे कि पृथ्वी लोक पर उनका कार्य पूर्ण हो चुका है।


और अब उन्हें मानव रुप त्याग कर बेनकुठ लोक तरफ लौटना पड़ेगा उनकी मिलते हैं। श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण को आदेश दिए कि वह किसी को भी अंदर आने ना दें। नहीं तो उस इंसान को मृत्युदंड दिया जाएगा। भगवान श्रीराम और यम अंदर एक दूसरे से वार्तालाप कर रहे थे।


भगवान राम लक्ष्मण पर क्यो क्रोधित हुए

इसी बीच ऋषि दुर्वासा भी श्री राम से मिलने के लिए आ गए। दुर्वासा ऋषि अपने क्रोध के कारण बहुत प्रसिद्ध थे। लक्ष्मण ने उन्हें रोका तो दुर्वासा ऋषि गुस्से में बोले अगर ऐसी छन उन्हें श्री रामचंद्र ने के लिए नहीं दिया गया तो वह श्री राम को श्राप दे देंगे।


ऐसे में अपने बड़े भाई को सराफ ना मिले। इसके लिए लक्ष्मण खुद की बलिदान देने के लिए सोची। लक्ष्मण खुद ही राम के पास चले गए। श्रीराम इस बात को बिल्कुल भी नहीं समझ सके कि जो आज तक हर एक आज्ञा का पालन करते आया था, उसने आज आज्ञा कैसे तोड़ दिया।


      लक्ष्मण किसका आवतर है

श्री राम अपने छोटे भाई को मृत्युदंड तो नहीं दे सके लेकिन उनको देश निकाला का आदेश दे दिया। अपने बड़े भाई को नाराज करने के बाद लक्ष्मण खुद सरयू नदी में जाकर विलीन हो गए। आपको जानकर हैरानी होगी कि अयोध्या के सरयू नदी में जिसे शेषनाग का जिक्र किया जाता है। 


वो शेष नाग कोई और नहीं बल्कि लक्ष्मण का ही रूप है। कहा जाता है। लक्ष्मण शेषनाग का ही मानव रूप थे। जिन्होंने मानव आवतर ही इसलिए लिया था। ताकि हर वक्त भगवान राम की सेवा कर सके।


लक्ष्मण के सरयू नदी में  समाधि लेने से राम दुखी हुए और उन्होंने जल समाधि लेने का निर्णय लिया। भगवान श्री राम जय श्री पवित्र सरयू नदी में प्रवेश की। उसके बाद में 1 दिव्या में विमान आया। उस समय में भगवान का स्वरूप बदल गया और उनके शरीर में दो की जगह चार भुजाएं हो गई।


भगवान श्री राम ने कब मानव शरीर को त्यागा

भगवान श्रीराम का विष्णु अवतार कहां जाता है। अपने वास्तविक रूप भगवान विष्णु के रूप में आने के बाद भगवान उस विमान में बैठ गए। यह देखकर अयोध्या की प्रजा ने भगवान से कहा कि हे प्रभु आप तो अपने परमधाम को जा रहे हैं।


क्या पूरी अयोध्या सरयू नदी में समा गई 

आपके बिना हमारी क्या दशा होगी तब प्रभु ने अपनी प्रजा से कहा, आप सभी मेरे प्रिय हो इसलिए आप सब मेरे साथ चलें। ओर पूरी पूजा के साथ भगवान श्री राम तेता युग के अंतिम चरण में अपने परमधाम को चले गए। इस तरह से पूरी अयोध्या सरयू नदी के जल में समा गई है। 


श्री राम ने मानव शरीर त्याग तो लव ओर कुश का क्या हुआ? 

अब कहानी में आगे बढ़ते हैं। भगवान श्री राम के दोनों पुत्रों के तरफ लव कुश भगवान श्री राम के जुड़वा बेटे थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब श्रीराम ने मानव रूप को त्यागने का निश्चय कर भारत का राज्य अभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने अंत मे दक्षिण कोशल प्रदेश की जो आज के छत्तीसगढ़ इलाके में है।


पुश और उत्तर कौशल में लव का राज्य अभिषेक किया गया। क्या जाता है कि श्रीराम के काल में ही कोशल राज्य उत्तर कौशल और दछिन कौशल में बता था। कालिदास की रचना के अनुसार श्री राम ने अपने पुत्र लव कुश सर्वती का और कुछ को खुशहाल थी राज्य दिये।


  लव ओर कुश का राज्य कोंन था

लव का राज्य उत्तर भारत में और कुछ का दक्षिण भारत की राजधानी कुशावती आज के छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में थी। कालिदास की रचना रघुवंश के अनुसार खुश क्यों अयोध्या जाने के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था?


    लव से राजपूतो का जन्म हुआ

बाद में राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बार गुजर जयस सुकर बारो का वंश चला इसकी दूसरी राज्य सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बेचला और गहलोत वंश के राजा हुए  वहीं दूसरी तरफ कुश


    कुश से क्या जन्म लिया गया

से खुश हुआ, जिसे प्राचीन काल में कच्छावा कहा जाता था। उनको वंश चला अब कहानी में आगे बढ़ते हैं। भगवान श्री राम के 2 पुत्र थे।


  लव ओर कुश के पुत्र के क्या नाम थे? 

लव और कुश कुश के पुत्र थे। अतिथि और अतिथि के पुत्र निशोधन जिसके बाद लगभग 50 वीं पीढ़ी में शल्य पैदा हुए और छल्ले मात्रा राजा के राजा जो पांडु के सगे साले और नकुल सहदेव के मामा थे। 


क्या राम के परिवार से महाभारत लड़ा था? 

महाभारत में इन्होंने पांडव का साथ नहीं दिया और कर्ण के सारथी बन गए। कर्ण के  मृत्यु पर युद्ध के अंतिम दिन उन्होंने कौरव सेना का नेतृत्व किया और उसी दिन युधिष्ठिर के हाथ मारे गए। उनकी बहन भादुरी कुंती की सौतन थी। और पांडु के शव के साथ चिता पर जीवित भस्म हो गई थी।


एक शोध के अनुसार अगर लव और कुश की 50 वीं पीढ़ी में चले हुए जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लदे थे। अगर 50 वीं पीढ़ी की गणना की जाए तो लव और कुश महाभारत काल के 25 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे।


रामायण के बाद महाभारत का लड़ाई कब हुआ था? 

यानी रामायण काल के बाद लगभग 1.5 हजार साल बाद महाभारत काल आया था। चलय के बाद लक्ष्य कुरुक्षेत्र ग्रुप प्रतिबिंब दिवाकर सहदेव दुर्वास, भानुराथ अनुरोध प्रति सचेत मनुर्वध नक्षत्र के राशि व अंतरिक्ष सुशील कई राजाओं के बाद सुमित्र हुए।


क्या आज भी भगवान श्री राम के वंश जिंदा है? 

ऐसे में सवाल उठना लाजमी था। भगवान राम का वंशज आज भी हमारी पृथ्वी पर मौजूद है। या फिर ऐसा तो नहीं भगवान राम का वंश है। जी कहीं किसी काल में पूरी तरह से खत्म हो गया तो दोस्तों आपको बता दें। 2019 में भारत की सर्वोच्च अदालत ने यह पूछा था। क्या राम के वंशज अस्तित्व है तब राजा की राज परिवारों में पेश किया।


दिया कुमारी ने पत्रावली के जरिये कुछ सबूत पेश किए थे जिस पर भगवान राम के सभी वंशजों के नाम क्रमानुसार लिखे हुए थे।  भगवान राम के वंशज के रूप में 289 में नंबर पर वंश जयपुर के सवाई जयसिंह का ही नाम था और इसी क्रम में 307 वंशज के रूप में प्रिया कुमारी के पिता महाराजा भवानी सिंह का नाम था। 


उदयपुर और जयपुर राजघरानों की ओर से श्री राम के वंशज होने का दावा एक लंबे समय से किया जा रहा है जयपुर की पूर्व राजकुमारी और राज्यसंस्ड से दिया कुमारी ने एक ट्वीट में कहा था कि हां भगवान राम के वंशज पूरी दुनिया में है। 


और हमारा परिवार भी उनके पुत्र कुश का वंशज है। जयपुर की पूर्व रानी पद्मिनी देवी अपने परिवार को भगवान राम का वंशज बताया था। उन्होंने बताया उनका परिवार भगवान राम के पुत्र कुछ के परिवार से संबंध है। उन्होंने कहा, जयपुर के पूर्व राजा और उनके पति भवानी सिंह खुश की 309 पीड़ि थे।


दोस्तों प्रैक्टिकल तौर पर देखा जाए तो जयपुर की रानी है। फिर जयपुर की राजकुमारी ने जिन किताबो को पेश किया है, वह बिल्कुल सच हो सकता है। देखा जाए तो आज के वक्त में हम अपने दादा परदादा के भाइयों के वंशज को भी ठीक तरीके से नहीं जानते क्योंकि एक से दो पीढ़ी को क्रॉस करते ही हमारा परिवार इतना लंबा हो जाता है।


कितने अधिक लंबी लिस्ट को याद एक ही नही पाते है। दोस्तो जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। आपको क्या लगता है क्या बात है मैं जयपुर या फिर उदयपुर के राजघराने के लोग वास्तव में भगवान राम के कुल से संबंध रखते हैं।


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      जय हिंद जय भारत 

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