Friday, October 7, 2022

फेफड़े कैसे काम करते है ? । फेफड़ा कैसे खराब होता है ?


आप फेफड़े आणि लांश की महत्वता को तब तक नहीं समझ सकते। जब तक आप को सांस लेने में परेशानी ना हो। कोरोना काल में हम अक्सर इस तरह की खबरों से दो-चार होते रहे हैं । लेकिन लोगों का ऑक्ससीन कम हो गया है। सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही है। 

फेफड़े कैसे काम करते है ? फेफड़ा कैसे खराब होता है ?

सांस लेने में दिक्कत से मतलब ये है। कि क्या फेफड़ा सही ढंग से काम नहीं कर रहा। इसका अर्थ यह कि पेपर सही तरीके से रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर पा रहा फेफड़े की शरीर भूमिका को समझने से पहले फेफड़े के बारे में समझना जरूरी है।


Structure of lungs

किसी इंसान के दोनों फेफड़े बराबर आकर के नहीं होते है। दाएं फेफड़े बाए फेफड़े के मुकालबे अधिक बड़ा होता है। दाएं फेफड़े के नीचे जिगर या लिबर मोहजूद रहता है। उसके लिए जगह बनाने लिए फेफड़े का आकार थोड़ा काम रहता है।


पुरूष के फेफड़े महिलाओं के फेफड़े से ज्यादा हवा धारण कर सकते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक पुरूष के फेफड़े से 750 के बीच सेंटीमीटर तक हवा धारण कर सकते हैं। जो की महिलाओं की 280 से 324 सेंटीमीटर तक हवा धारण करने में सक्षम है। 


एक स्वस्थ व्यक्ति का फेफड़ा पूरी तरह से 70% तक उपयोग पाता है। अमेरिका में लुंगस सर्वे के अनुसार एक साधारण इंसान 1 मिनट में 15 से 20 बार सांस लेता है। यानी पूरे दिन भर में 20000 बार सांस लेता है। छोटे बच्चे व्यस्को के मुकाबले जल्दी-जल्दी सांस लेते हैं । 1 मिंट में 40 बार सांस लेते हैं। 


दाएं फेफड़ो को तीन भागों में विभाजित किया गया है जिसे लोग कहते हैं । बाय फेफड़े के 2 लोग होते हैं। लोग लुंगस की तरह ऊतक नामक झिलिया से घिरी रहता है। हर फेफड़े का अपना पल्य ऊतक समूह रहता है।


यह बजे है कि  अगर एक फेफड़ा खराब हो। तो दूसरा अच्छे से काम करने में सक्षम है। सांस के लिए लांस ओर रेप्रिति सिस्टम का होना जरूरी  हैं। क्योकि हम इन्ही के जरिए हम सांस ले पाते है । जिसके जरिए ऑक्सीजन हमारे शरीर में दाखिल होता है जिसे इनहेलेशन या इंस्पिरेशन कहते हैं।


और इसके बदले में शरीक कार्बन डाइऑक्साइड गैस बाहर निकलती है। जिसे  एक्सप्रेशन या एक्ससेरेसन कहते हैं। lungs के जरिए ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड की अदला-बदली होती रहती है। फेफड़ा छाती के दोनों तरफ होता है। उस पर पंजी होता है जिसमें हवा से भरी ट्यूब होती हैं। 


फेफड़ो की कार्य प्राणिली 

फेफड़ो की कार्यप्रणाली फेफड़े जब फैलते हैं तो वे शरीर में हवा खींचने का काम करते हैं। जब ये सिकरोतो  हैं। तो शरीर द्वारा बनाए गए गैस कार्बन डाइऑक्साइड को छोड़ते हैं। इस का शरीर में कोई काम नहीं रहता है। 


उनके पास कोई मास पेशियों नही होती जो हवा लेने और छोड़ने का कार्यकर्ताओं एवं दवापन ओर पंचगनी त्रिपबोर्न सांस लेने की काम में फेफड़ों की मदद करते हैं। जब इंसान नाक के द्वारा सांस लेता है। तो हवा गले में ट्रेचा नामक अन्त में होकर जाती है।


जिसे विंडवाक भी कहते हैं। आगे जाकर ट्रेचा कई रास्तों में विभाजित हो जाता जिससे ब्रोकियाल ट्यूल कहते हैं।  यह ट्यूल दोनों फेफड़ो में पहुंचकर फिर कई भागों में विभाजित हो जाते हैं। जिनको ब्राउन की ओर कहा जाता है। इसके अंदर हवा की एक थैली मौजूद रहती है।


जिसे Alveoil in lungs  कहा जाता है। इनकी कुल संख्या 480 मिलियन रहते हैं। Alveoli के दीवारों पर कई कापेरिब्रैंन  पाए जाते हैं और ऑक्ससीन Alvoire के  द्वारा कापेरिब्रैंनमें जाते हैं। ओर फिर की रक्त की ओर प्रवाहित कर दी जाते हैं। 


इस प्रक्रिया को गैस एक्सचेंज कहते हैं। ब्रांच ट्यूब के चारों ओर झिलिया नाम के परत रहती है जो फेफड़ो की गंदगी को दूसरे अंगों तक फैलने से रोकते हैं। फेफड़ो को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। डॉक्टरों का मानना कि सोशल व्यायाम करने से धूम्रपान छोड़ देने से सही खाना खाने बहुत सारा पानी पीने से फेफड़ों की बीमारी काफी हद तक बचा जा सकता है।


तो दोस्तो आपको इस विसय पर क्या खयाल है। हमे comment box में जरूर बताये। ओर ऐसे ही amezing fects को लगातार पढ़ने के लिए हमारे blog को subscribe जरूर करे । 


तो आज के लिए इतना ही अब हम चलते है। फिर मिलेंगे नई पोस्ट के साथ तब तक हमारे blogg के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो का दिल से धन्यवाद ,,,,,

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