Wednesday, December 4, 2024

भारत में पेट्रोलियम की खोज कब हुई थी? - भारत में कच्चे तेल का उत्पादन कहां होता है

 

क्या आप जानते हैं कि देश के सरकार तेल को लेकर कीस डायरेक्शन में काम कर रही है जिससे कि आने वाले समय में हम तेल के मामले में सेल्फ डिपेंड हो सके? दरअसल भारत सरकार ने साल 2021 - 22 के फाइनैंशल इयर में भारत सरकार के विदेश से क्रूड ऑयल मंगाने पर जो Exproment किया था । 

भारत में पेट्रोलियम की खोज कब हुई थी? - भारत में कच्चे तेल का उत्पादन कहां होता है

वह लगभग 119 मिलीयन डॉलर था, जबकि कोविड-19 से 1 साल पहले यानी कि साल 2019 में फाइनैंशल ईयर में भारत सरकार ने $101 करोड़ मिलियन   डॉलर  क्रूड ऑयल पर खर्च किए थे। यानी हमारे क्रूड ऑयल का एक्सपेंस लगातार बढ़ता जा रहा है। दोस्तो तेल के इस खेल में तेल कंपनियों के साथ-साथ उन देशों की अच्छी खासी चांदी कट रही है। जहां तेल का प्रोडक्शन काफी अच्छा है जो क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन करते हैं और इसी क्रूड ऑयल के बदौलत ही अपनी इकॉनमी को ग्रो कर रहे हैं ।


लेकिन अब मोदी सरकार ने इस तस्वीर को बदलने की कोशिश शुरु कर दिया है ।  आइए जानते हैं कि सरकार तेल को लेकर किस तरह खेल करने जा रही है। आप हमारे साथ इस पोस्ट में आखिर तक जरूर बने रहिएगा। 


भारत में पेट्रोलियम की खोज कब हुई थी? - भारत में कच्चे तेल का उत्पादन कहां होता है

दोस्तों आज हमारी आबादी लगभग 135 करोड है और जिस स्पीड से हमारी आबादी बढ़ रही है उसी स्पीड से हमारी जरूरतें भी बढ़ रही है और तेल हमारी डेली नीड का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। पेट्रोलियम प्रोडक्ट के जरिए ही हमारा पूरा का पूरा transprot सिस्टम अपना काम कंप्लीट कर पाता है ।


विश्व का पहला तेल कुआँ कहाँ खोदा गया?

लेकिन क्रूड ऑयल हमारे देश में पैदा नहीं होता। यह ज्यादातर अरब देशों से हमारे देश में आता है। इसके अलावा रूस में क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन होता है। जहा से हम इसे मंगाते हैं। इस समय दुनिया में वह देश अमीर होते जा रहे हैं जहां क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन अच्छा खासा हो रहा है क्योंकि वह क्रूड ऑयल बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन ऐसे देश जहां ना के बराबर है या उनकी जरूरत के मुताबिक बहुत कम है। 


वह इस ऑयल के इंपोर्ट पर अच्छा-खासा पैसा खर्च कर रहे हैं जैसे हमारे देश में तेल के आयात पर जरूरत का 80 फ़ीसदी हिस्सा डिपेंड करता है । यानी जरूरत पर परसेंटेज बाहर से मंगाते हैं। लगभग 15 से 20 परसेंट तेल हमारे यहां पर परदुष होता है। बीते 2 फाइनैंशल ईयर के बीच तेल के खर्च का डिफरेंस देखें तो हमारे देश ने तेल के इंपोर्ट पर 18 बिलियन डॉलर का एक्स्ट्रा पैसा खर्च किया है। 


जिस हिसाब से हमारे देश में आबादी बढ़ रही है, उसकी जरूरत पड़ रही है और उसके साथी ग्रास रूट लेवल पर भी लोगों की इनकम बढ़ रही है । वो भी इनकम जूम करने के सिचुएशन में आ रहे हैं। देश में लोग ज्यादा से ज्यादा मात्रा में टू व्हीलर और फोर व्हीलर परचेस कर रहे हैं। इस हिसाब से देश में ईंधन की खपत भी बढ़ रही है। 


तेल की बढ़ती खपत को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले 8 से 10 सालों बाद हमारे देश में हर साल तेल की खपत पर लगभग 190 से 200 बिलीयन डॉलर का खर्चा होगा। तेल की इस परचेस पर हमारा पैसा तो खर्च होगा ही। इसके साथ ही इतने तेल के जलने पर हमारा एटमॉस्फेयर भी पॉलिटिन होगा। 


पेट्रोल से बचने का उपाय क्या हैं ? 

इस कंडीशन से बचने का जो उपाय नजर आ रहा है फिलहाल वह है इलेक्ट्रिक व्हीकल का, लेकिन जिस हिसाब से फ्रॉन कंट्री ने इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉपुलर हो रहे हैं और लोग उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारे देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल का चलन उतना ज्यादा नहीं है। हमारे यहां आज भी लोग पेट्रोल डीजल से चलने वाली गाड़ियां खरीदना पसंद कर रहे हैं । 


इसकी वजह से हमारे यहां तेल की समस्या जैसे की तैसी बनी हुई है जो इलेक्ट्रिक व्हीकल मार्केट में नजर आ रहे हैं। उनमें शार्ट सर्किट और आग लगने की घटनाएं भी सामने आ रही है। खासतौर से टू व्हीलर बाइक में जिस तरीके से शॉर्ट सर्किट के जरिए आग लगने की घटनाएं सामने आ रही है, उसे देख कर आने वाले समय में लोग इलेक्ट्रिक व्हीकल को किस हद तक अपनाएंगे। यह भी अभी कहा नहीं जा सकता। 


इसके अलावा भारत सरकार की तरफ से भी बहुत सारी कोशिशें की जा रही है कि लोग और पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर बेस्ट भी विकल को छोड़कर इलेक्ट्रिक व्हीकल को अपनाएं। इसके लिए सरकार इस तरह के वाहनों को खरीदने पर सब्सिडी दे रही है। लेकिन इसका कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है। हाइड्रोजन को भी फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल करके इस से चलने वाले वाहनों के प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है। 


इसके अलावा पेट्रोल में मेथोनॉल भी मिक्स किया जा रहा है लेकिन सारे उपाय प्रभावी साबित नहीं हो रहे हैं और क्रूड ऑयल पर सरकार का एक्सपेंस लगातार बढ़ता जा रहा है। आने वाले समय में भी इसके कम होने का कोई रास्ता नजर भी नहीं आ रहा है। ऐसी कंडीशन में भारत सरकार ने क्रूड ऑयल को लेकर एक बड़ी कार योजना तैयार की है ।


भारत खुद का पेट्रोल बना रहा है ? 

और अगर वह सक्सेसफुल हो जाती है तो यकीन मानिए कि हमारी ऑयल के लिए दूसरे देशों पर डिपेंड खत्म हो जाएगी। इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक आर्टिकल के मुताबिक आने वाले समय में भारत सरकार क्रूड ऑयल के एक्टिवेशन पर 4 बिलियन डॉलर खर्च करने जा रही है। 


यानी भारत सरकार की योजना ये है। की अब क्रूड ऑयल का प्रोडक्शन भारत में ही किया जाए। इकोनामिक टाइम्स के 1 आर्टिकल के मुताबिक ऑयल एंड नेचुरल गैस एजेंसी यानी ओएनजीसी आने वाले 3 सालों में भारत में ही तेल के भंडारों की खोज करेगी। सरकार इसके लिए एक बड़ी रकम खर्च करने जा रही है। ONG सरकार ने यह जिम्मेदारी दी है कि वह भारत के तकरीबन सभी देशों में तेल और नेचुरल गैस के भंडार की खोज करे ।  


ओर इसके लिए सरकार ने 31000 करोड रुपए का बजट निर्धारित किया है। आपको बता दें कि बीते समय में इस काम पर सरकार से जितना बजट आवंटित किया जाता था, यह बजट उसका दुगना है। यानी सरकार ने नेचुरल गैस कॉरपोरेशन के लिए दिए जाने वाले बजट को 50% बढ़ा दिया है। इस काम के लिए ओएनजीसी ने अपनी स्ट्रेटजी को सामने रखते हुए बताया कि आने वाले समय में से सिर्फ सर्वे करके पूरे देश में तेल और गैस के भंडारों को खोजने का काम करेगी। 


अब भारत ख़ुद से तेल उत्पादक करेगा ?

उसका लक्ष्य है कि वह एक साल में लगभग 115 से 120 तेल और गैस के भंडारों को खोज कर उन पर काम चालू करें इस प्रकार आने वाले 3 सालों में लगभग 350 ऑयल मिलकर ड्रिलिंग की जाएगी। इसके लिए ओएनजीसी दुनिया की दूसरी एक्सपोर्ट कंपनी के साथ भी मिलकर काम करेगी और उन्हें अपना स्टेकहोल्डर बनाएगी ।


जिससे कि वह न केवल यहां आकर काम कर सके बल्कि एग्रीमेंट के मुताबिक टेक्नोलॉजी और इक्विपमेंट भी शेयर कर सकें। इनके साथ ही उन्हें भारत में निवेश करने का ऑफर भी दिया जा रहा है जिसका उद्देश्य भी यही है कि  एक्सपोर्ट कंपनी यहां आए और भारत में मौजूद तेल और नेचुरल गैस के नए-नए भंडारों की खोज करें। यहां पर काम करें। 


अब हम उम्मीद कर सकते हैं कि बहुत जल्द हमारे देश में तेल के नए भंडार सामने आने वाले हैं। भारत सरकार के एंबिशियस प्रोजेक्ट के सामने आने से देशवासियों को तो फायदा होगा ही, लेकिन आइए हम यह भी समझने की कोशिश करते हैं कि वर्तमान में हमारे देश में ऑयल और गैस के फील्ड में क्या काम हो रहे हैं। हम कितना उत्पादन करते हैं और यह उत्पादन कहां कहां से हो रहा है। 


भारत में पेट्रोलियम की खोज कब हुई थी?

भारत का पूर्वोत्तर और पश्चिमी क्षेत्र तेल और गैस के भंडार के मामले में सम्मिलित है। हमारे देश में बीते 100 से भी अधिक सालों से इस क्षेत्र में काम हो रहा है। हमारे देश में तेल और गैस उद्योग 1889 से काम कर रहा है। इसी साल देश का पहला तेल भंडार असम स्टेट शहर के पास खोजा गया था। 


जबकि साल 1960 के दशक में देश का पहला नेचुरल गैस प्लांट शुरू हुआ था। असम और मुंबई महाराष्ट्र में गैस के एरिया को एक्सप्रॉयल  किया गया और फिर यहां काम शुरू किया गया। 31 मार्च साल 2018 तक भारत में कच्चे तेल का भंडार 954, दशमलव 49 मिलियन और प्राकृतिक गैस का भंडार 1339.57 क्यूबिक मीटर होने का अनुमान लगाया गया था। 


मार्च 2021 तक भारत का कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन 5.20% और प्राकृतिक गैस का उत्पादन 8.1% तक कम होगा क्योंकि पुलिस ने कच्चे तेल के 30451 मीटर और प्राकृतिक गैस के 28667 मिलियन मीट्रिक टन माल निकाल लिया हालांकि डोमेस्टिक गैस में 20.23% की ग्रोथ देखी गई जबकि कच्चे तेल के प्रोडक्शन में लगभग 2.3% की कमी आई, 


लेकिन ये तमाम प्रोडक्शन हमारी साल भर की जरूरतों के केवल एक छोटे से हिस्से को ही पूरा करता है और हमें अपनी जरूरतों के लिए विदेशी आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन अब उम्मीद की एक किरण जगी है जो बड़े पैमाने पर एक बार फिर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के भंडारों की खोज हमारे देश में होने जा रही है। अगर ऐसा हो जाता है तो हमारे देश में पेट्रोल डीजल के न केवल दाम कम हो जाएंगे बल्कि इसके किल्लत से भी मुक्ति मिल जाएगी। 


ऐसे अलावा दोस्त आपको क्या लगता है। भारत सरकार यह जो कदम उठाने जा रही है। इसमें सफलता की संभावना कहां तक है और इससे आने वाले समय में हमारी एनर्जी नीड्स कहां तक फुलफिल हो पाएगी। अपने सवालों का जवाब हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइएगा। 


तो दोस्तो क्या आपके मन में कोई सवाल है । तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इसे ही जानकारी के लिए आप हमारे ब्लॉग को subscribe जरूर करें । तो आज के लिए इतना ही अब हम चलते हैं । फिर मिलेंगे न्यू जानकारी के साथ तब तक हमारे ब्लॉग के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


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