Sunday, August 6, 2023

धरती से चंद्रमा तक जाने वाली बुलेट ट्रेन - bullet train from earth to moon

 

दोस्तो आजकल दुनियां टेक्नोलॉजी से भरा हुआ है । भारत ISRO से मंगलयान करना चाहते हैं । वही अमरीका NASA से मंगल ग्रह पर जाना चाहता है । वही अगर हम Elon Musk की बात करे । तो वो अपने Space x से मंगल ग्रह पर जा रहा है।  इतना ही Elon Musk लोगो को मंगल ग्रह पर घर बसाने की तैयारी कर रहे हैं । तो चलिए पहले ये जानते हैं कि लोग धरती से मंगलयान और चांद पर क्यों जाना चाहते हैं । 

धरती से चंद्रमा तक जाने वाली बुलेट ट्रेन - bullet train from earth to moon

अभी तक आप सिर्फ चंद्रयान और मंगलयान के बारे में जानते थे, लेकिन जल्द ही इंसान धरती से बुलेट ट्रेन में सवार होकर चंद्रयान और मंगलयान पर जा सकेगा। दरअसल, जापान एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसके तहत जापान धरती से चांद तक बुलेट ट्रेन चलाने की योजना पर काम कर रहा है. जापान की योजना इस बुलेट ट्रेन को पहले चांद पर ले जाने की है, अगर इसकी योजना सफल होती है तो इसे मंगल ग्रह पर ले जाने की भी योजना है.


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मंगल ग्रह और पृथ्वी पर लोग क्यों जाना चाहते हैं ?

दोस्तो में आपको बता दूं कि पहले धरती पर डायनासोर रहता था । डायनासोर कैसे खत्म हुआ । इस धरती से और इसके पूरे डिटेल्स के नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें । डायनासोर को इस धरती से खतम होने के बाद मनुष्य ने इस धरती पर जन्म लिया । मनुष्य धरती पर कैसे आया । और कब आया इसके अलावा और भी कोई जानाकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें । 


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तो दोस्तो डायनासोर धरती पर प्रलय आने के वजह से डायनासोर का विनाश हो गया और मनुष्य का उत्पति हुवा । उसी तरह से धरती पर उल्का पिंड आने वाला है । जो पूरे मनुष्म्य जाती को समापत कर देगा । 


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इसी वजह से वैज्ञानिक मंगलयान और चंद्रयान पर जाने के काम कर रहे हैं । और आपको तो ये मालूम ही होगा । की चांद पर बहुत से लोग चले भी गए हैं । तो चलिए अब जानते हैं । जापान क्या कर रहा है । 


धरती से चंद्रमा तक जाने वाली बुलेट ट्रेन

जापान ने दुनिया को पहली बुलेट ट्रेन दी। और अब जापानी वैज्ञानिक चंद्रमा और मंगल पर भी बुलेट ट्रेन चलाने की अवधारणा विकसित कर रहे हैं। जापान के क्योटो विश्वविद्यालय और काजिमा कंस्ट्रक्शन के शोधकर्ता चंद्रमा और मंगल पर कृत्रिम अंतरिक्ष वातावरण बनाने की योजना बना रहे हैं। इसका मतलब है कि इंसानों के लिए एक निश्चित क्षेत्र में रहना संभव होगा। 


वैज्ञानिक वहां यात्रा करने के लिए बुलेट ट्रेन के कॉन्सेप्ट पर काम कर रहे हैं। इसके लिए 'हेक्सागन स्पेस ट्रैक सिस्टम' नाम के ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर काम किया जा रहा है।रिपोर्ट्स के मुताबिक, विभिन्न देशों की अंतरिक्ष एजेंसियां ​​मंगल ग्रह के लिए अपने मिशन की तैयारी कर रही हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी अपने अंतरिक्ष यान के जरिए वहां जीवन की संभावना तलाश रही है। लेकिन जापानी शोधकर्ता एक कदम आगे जा रहे हैं। परियोजना के अनुसार, 15 मीटर के दायरे वाला एक मिनी कैप्सूल पृथ्वी और चंद्रमा को जोड़ेगा। इसके बाद चंद्रमा और मंगल को जोड़ने के लिए 30 मीटर के दायरे के कैप्सूल का इस्तेमाल किया जाएगा।


क्योटो यूनिवर्सिटी के एसआईसी ह्यूमन स्पेसोलॉजी सेंटर के निदेशक योसुके यामाशिकी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अन्य देशों की अंतरिक्ष विकास योजनाओं में ऐसी कोई योजना नहीं है। हमारी योजना यह सुनिश्चित करती है कि भविष्य में मनुष्य अंतरिक्ष में जा सकेंगे। परियोजना पर सहयोग कर रहे काजिमा कंस्ट्रक्शन के एक वरिष्ठ शोधकर्ता ताकुया ओनो ने कहा कि हम इस परियोजना को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह भविष्य में मनुष्यों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।


इस परियोजना में मंगल ग्रह पर कांच का आवास बनाने की भी योजना है क्योंकि मंगल ग्रह का वातावरण मानव निवास के लिए उपयुक्त नहीं है। यानी यह एक तरह का मेंटल होगा, जिसके अंदर लोगों के पास पृथ्वी जैसा माहौल होगा। जो लोग इस आवास को छोड़ना चाहते हैं उन्हें स्पेससूट पहनना होगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस सदी के अंत से पहले इंसान चांद और मंगल पर चलना शुरू कर देंगे।


चांद और मंगल पर लोग घर बसाएंगे ? 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी और काजिमा कंस्ट्रक्शन ने मिलकर यह योजना बनाई है। वैज्ञानिकों की टीम ने पिछले दिनों प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बारे में जानकारी दी। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 21वीं सदी की आधी अवधि बीतने के बाद यानी इसके दूसरे हिस्से में (After 2050) इंसान चांद और मंगल पर रहने लगेगा।


चांद और मंगल पर धरती जैसा माहौल

आर्टिफिशियल स्पेस हैबिटेट के बारे में वैज्ञानिकों ने बताया है कि वहां भी इतनी ग्रैविटी (गुरुत्वाकर्षण) होगा, जो धरती जैसा ही असर करेगा। वहां भी ऐसा वायुमंडल तैयार किया जाएगा, जो ​इंसानों को धरती की तरह महसूस कराए। ऐसा इसलिए भी कि कम ग्रैविटी वाली जगहों पर इंसानों की हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।


यह एक उल्टे शंकु के आकार का था जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की नकल करने के लिए घूमता था। इसकी ऊंचाई करीब 1300 फीट और 328 फीट त्रिज्या चौड़ाई थी। शोधकर्ताओं को 2050 तक एक नमूना तैयार करने की उम्मीद है। शोधकर्ता ‘हेक्साट्रैक’ नामक एक अंतरग्रहीय परिवहन प्रणाली का भी सपना देख रहे हैं। यह कम गुरुत्वाकर्षण में लंबी दूरी की यात्रा के दौरान भी 1G का गुरुत्वाकर्षण बनाए रखता है। Hexacapsules हेक्सागोनल आकार के कैप्सूल हैं।


अंतरिक्ष में दौड़ेगी बुलेट ट्रेन ? 

पृथ्वी और चंद्रमा के बीच एक छोटा मिनी-कैप्सूल (15 मीटर की त्रिज्या के साथ) और पृथ्वी और मंगल के बीच और चंद्रमा और मंगल के बीच यात्रा करने वाला एक बड़ा कैप्सूल (30 मीटर की त्रिज्या के साथ) होगा। पृथ्वी पर पटरियों पर स्टेशनों को ‘टेरा स्टेशन’ कहा जाएगा, जबकि छह-कार मानक गेज ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों को ‘स्पेस एक्सप्रेस’ कहा जाएगा। यह बेस शहरों को जोड़ने वाले गेज के रूप में चंद्रमा और मंगल पर हाई-स्पीड रेलवे के रूप में काम करेगा।


हम चांद पर जा सकता हूं ? 

तो दोस्तो आपको ये तो मालूम चल गया होगा । की अब लोग धरती से बुलेट ट्रेन के यात्रा करके लोग अब चांद पर जा सकता है । जेसे की आप दिल्ली , मुंबई , कोलकाता , 🚆 ट्रेन से जाते हैं । और उसके बदले आपको पैसे देने होते हैं । इसी तरह से आपको चांद पर जाने के लिए पैसे देने होंगे । और आप चांद पर जा सकता है । 


इसी तरह से दोस्तो चांद पर भी जमीन पैसे से बिकेगा।  जिस तरह से अभी हमारे धरती पर जमीन पैसे से बिक रहा है।  उसी तरह से वहा पर भी होगा । इतना ही चांद पर वो सब चीज आपको मिलेगा । जो आपको अभी धरती पर मिल रहा है । 


तो दोस्तो उम्मीद करता हूं । की ये जानकारी आपको अच्छा लगा होगा । क्या आपके मन में कोई विचार है । और क्या आप चांद पर जाना पसंद करते हैं । हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । आज के लिए इतना ही हमारे साथ जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


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