Thursday, January 11, 2024

क्या कल्कि अवतार का जन्म हो चुका है? । कल्कि अवतार किसका वध करने के लिए होगा?

 

दोस्तो आज हम आपको बताने वाले हैं । की भगवान विष्णु कली अवतार क्यों लेंगे । और कलयुग में क्यों आयेंगे । और इस कलयुग में भगवान विष्णु किसके वध करेंगे । ये सारे जानकारी बताएंगे । इतना ही नहीं कलि अवतार में भगवान विष्णु कोण से अस्त्र का उपयोग करेंगे । ये भी आपको में बताएंगे । 

कल्कि अवतार किसका वध करने के लिए होगा?

तो अगर आपको ये समझना है । की भगवान विष्णु कली अवतार ले लिया है । या फीर लेने वाले है । और इस कलयुग में भगवान विष्णु किसके वध करेंगे । ये सारे जानकारी जानने के लिए आप हमारे पोस्ट के अंत तक बने रहे । तो चलिए शुरू करते हैं । लेकीन उससे पहले जानते हैं । भगवान विष्णु इस कलयुग में क्यों आयेंगे । 


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कल्कि अवतार कली पुरुष का अंत कैसे करेंगे ? 

यह जाने से पहले हम थोड़ा कली पुरुष के बारे में जानते हैं। कली पुरुष के जन्म के रहस्य को जानने के लिए हमें इस युग से श्रृष्टि के रचना स्रोत के समय में यानी सतयुग में जाना होगा। मित्रों सतयुग में समुद्र मंथन की कहानी आप सबने सुनी होगी। समुद्र मंथन के लिए मंदराचल पर्वत को गरुड़ देव ने अपनी चोंच में उठाकर चीर सागर में रखा और सरफराज बासुकी को उस पर्वत में लपेटकर रास्ते के रूप में प्रयोग किया गया  ।


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समुंद्र मंथन विष्णू पुराण ? 

राक्षसगण बासुकीनाथ के मुखी और और देवता पूछ की और लगे थे परंतु मंथन हो नहीं पा रहा था क्योंकि मंदराचल पर्वत का आधार घूम नहीं रहा था। तब भगवान विष्णु ने कछ यानी कछुए का अवतार लेकर मंदराचल पर्वत को अपनी पीठ पर रखा। इस प्रकार समुद्र मंथन की शुरुआत हुई। 


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उसमें बहुत सारे कीमती आभूषणों के साथ पहले हलाहल नामक तेज विष निकला। भगवान विष्णु को इस विष के बारे में पहले से ही पता था। उन्होंने देवताओं को इस बारे में पहले इसलिए नहीं बताया क्योंकि वह जानते थे। अगर उन्होंने देवताओं को इस विश्व के बारे में बता दिया तो वह विश के कारण इस मंथन को नहीं करेंगे। 


इसलिए उन्हें सिर्फ अमृत के बारे में बताया गया। अब क्योंकि हलाहल विष निकल गया था और सभी इसके बैक से मूर्छित होने लगे ।  परंतु शर्त के अनुसार इसे आधा देवताओं को और आधा असुरों को पीना था, परंतु दोनों में हलाहल विष के इस तेज को सहन करने की शक्ति नहि थी । फिर भगवान भोलेनाथ ने भगवान विष्णु के कहने पर विष का पान किया । 


क्लीपुरुष का जन्म कैसे हुआ ? 

परंतु इस विश्व के तेज से भोलेनाथ की जलने लगे। तब शक्ति रुपी देवी मां पार्वती ने पुष्प विश को अपने हाथों से भोलेनाथ जी के गले में ही रोक दिया। इस विश के प्रभाव से भोलेनाथ का कंठ नीला पड़ गया। तब से भोलेनाथ का नाम नीलकंठ पड़ गया, 

कल्कि अवतार किसका वध करने के लिए होगा?


परंतु इस क्रिया में विश्व की कुछ बूंदे राक्षस कली के मुख में जा गिरी जिससे कली का शरीर खत्म हो गया और फिर आगे जब मंथन हुआ तो उसमें से कामधेनु गाय निकली, जिसे रिसीवर ने रखा उस गाय को को राजा बलि ने ग्रहण किया एरावत हाथी को देवताओं के राजा इंद्र ने ग्रहण किया। 


कौस्तुभ मणि और संख को भगवान विष्णु जी ने धारण किया। इसके बाद निकली संजीवनी बूटी को इस पृथ्वी लोक पर सुरक्षित स्थान पर स्थापित किया गया। यह वही संजीवनी बूटी है जिससे रामायण काल में लक्ष्मण जी को दिया गया था। इसके बाद धनसंपदा लेकर लक्ष्मी जी निकली। लक्ष्मी जी ने खुद विष्णु जी को ग्रहण कर लिया। चंद्रमा निकले तो भोलेनाथ जी ने ग्रहण कर लिया। 


क्लीपुरुष अमर कैसे हुआ ? 

अंत में भगवान धन्वंतरी अपने हाथों में अमृत कलश लेकर निकले। इस अमृत कलश की देवता और राक्षस छीना झपटी करने लगे और इसी छीना झपटी में अमृत की कुछ बूंदें समुद्र में जा गिरी जो उज्जैन नासिक प्रयागराज में गिरी थी और कहा जाता है कि हर 12 वर्ष पर फिर से वह अमृत प्रकट होता है और उस वक्त स्नान करने से रोग दोष दूर हो जाते हैं । 


और इसी अमृत की कुछ बूंदें कली पुरुष के मुख में गिर गई जिससे वह फिर से जीवित हो उठा, परंतु वह भौतिक रूप में ना आ सका। वह बिना शरीर के जीवित हो गया और अमृत की बूंदों से अमर हो गया। कल्कि पुराण के अनुसार कलयुग के अंत समय में कल्कि पुरुष अपने भौतिक रूप में वापस आ जाए। 


कली पुरुष अभी अपने भौतिक रूप में नहीं है, परंतु उसने अपनी शक्तियों से सारे मनुष्य को अपने बस में कर रखा है। उसने अपनी शक्ति काम वासना क्रोध और मोह का जाल इंसानों पर फैला रखा है और जैसे-जैसे कलयुग आगे बढ़ता जाएगा, उसकी माया का जाल बढ़ता जाएगा और वह अपने शरीर को पुनः प्राप्त करता जाएगा, जिससे इंसान पूरी तरह से कली के बस में हो जाएंगे और चारों ओर बाप ही बाप फेल जाएगा। 


और क्लिकपुरुस को ही खत्म करने के लिए भगवान विष्णु कली अवतार में इस कलयुग में जन्म लेगा । तो चलिए अब जानते हैं । भगवान विष्णू कली अवतार में कैसे देखा जायेगा । और उसका पहचान क्या होगा । 


क्या कल्कि अवतार का जन्म हो चुका है? । कल्कि अवतार किसका वध करने के लिए होगा?

दोस्तों, सनातन धर्म में पंचदेव के साथ ही  त्रिदेव का जिक्र है । वही त्रिदेव में ब्रह्मा, विष्णु और शिव सामिल है । जिनके काम वापस में बटे होने का भी जिक्र मिलता है इसीलिए ब्रह्मा जहा श्रृष्टि का निर्माण करते हैं । तो वही भगवान विष्णु को संसार का पालक और भगवान शिव को संहार  के देवता माने जाते हैं। 



वही हिन्दू ग्रंथों के अनुशार जब जब धरती पर पाप बढ़ा है । तब तब भगवान विष्णू किसी ना किसी रूप में धरती पर पापियों का विनाश करने के लिए प्रकट हुई है।  वायअवतार , नर्शिम अवतार ,  राम अवतार कृष्ण अवतार ये सभी बात प्रमाण है । शास्त्रों में विष्णु जी के 10 अवतार का उल्लेख मिलता है। इस में से अब तक नौ अवतार ले चुके हैं, लेकिन कलयुग में भगवान का अंतिम अवतार होना अभि बाकी है । 


भगवान विष्णु कल्कि अवतार कब लेंगे और कैसे दिखेंगे ?

ऐसा माना जाता है कि जब कलयुग अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाएगा तब विष्णु जी कल्कि अवतार लेकर कलयुग का अंत करेंगे। शास्त्रों में कहा गया है कि जैसे-जैसे घोर कलयुग आता जाएगा। वैसे-वैसे दिनों दिन धर्म सत्य पवित्रता छमा आयु कम होने की कगार पर आ जाएंगे। 

क्या कल्कि अवतार का जन्म हो चुका है? । कल्कि अवतार किसका वध करने के लिए होगा?


यह भी बताया गया है कि कलयुग में जिसके पास धन होगा उसी को लोग कुलीन सदाचारी मानेंगे । और जो जितना छल कपट कर सकेगा, वह समाज में लोगों की नजरों में सबसे कुशल व्यवहार वाला माना जायेगा । माना जाता है कि जिस तरह से आज के समय में वारदात की घटनाएं सामने आ रही है, एक समय ऐसा भी आएगा जब ऐसी घटनाएं अपने चरम पर होंगी 

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कलयुग का अंत कब होगा और कैसे हरकते करेंगे लोग ? 

एक इंसान दूसरे के खून का प्यासा हो जाएगा। गरीब से लेकर अमीर लोगों में जलन होने लगेगी । धर्म को ना मानने वाले का बोलबाला होगा। जिस तरह से प्रजा को संभालने के लिए हनेशा हो एक राजा हमेशा मौजूद होता है लेकिन आने वाली घोर कलयुग के समय में किसी भी शहर का राजा नहीं होगा। 


वहां केवल अधर्मियो का राज होगा। सारी साम्राज्य में उसका राज होगा ।  मान्यता है कि एक समय ऐसा भी आएगा जब चारों और अकाल पड़ जाएगा। लोग भोजन को छोड़कर जानवरों की तरह पत्तियां खाकर अपना जीवन व्यतीत करेंगे । कलयुग आनी की कलह कलेश से मुक्त युग इस युग में लोगो में सिर्फ असंतोष दिखाई देगा । 


और जैसे-जैसे बलबूते घर में पूजा पाठ का अंत होगा। लोग धर्म में पाखंड से जुड़े लगेंगे। तब होगा कलयुग का अंत और भगवान विष्णु कल्कि अवतार में आएंगे और कलयुग का अंत हो जाएगा। उसके बाद धर्म की स्थापना करेंगे, कल्कि अवतार आज भी लोगों के लिए एक रहस्य हैं। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि भगवान विष्णू अपना कल्कि अवतार कब लेंगे और कहां लेंगे और उनका रूप कैसा होगा।


कल्कि पुराण अध्याय 56 श्लोक 370

उनका वहां क्या होगा। ऐसे तमाम सवालों के जवाब श्रीमद्भागवत गीता में मौजूद है। भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जब-जब धर्म की हानि होती है, अधर्म और पाप का बोलबाला होता है। तब तब धर्म की स्थापना के लिए में अवतरित होता। 


वही श्रीमद्भागवत पुराण में लिखा है कि भगवान कल्कि अवतार कलयुग के अंत और सतयुग के संधिकाल में होगा। शास्त्रों की मानें तो प्रभु श्री राम और श्री कृष्ण का अवतार भी अपने अपने युगों के अंत में हुआ था। इसलिए जब कलयुग का अंत निकट आ जाएगा तब भगवान कल्की जन्म लेंगे । 


वही अग्नि पुराण के 16 वे अध्याय में कल्कि अवतार का चित्रण तीर कमान धारण किए हुए एक घुड़सवार के रूप में किया गया है। और वे भविष्य में होंगे । कल्कि पुराण के अनुसार वह हाथ में चमचमाती हुई तलवार हुए सफेद घोड़े पर सवार होकर युद्ध और विजय के लिए निकलेगा । 


कुछ संगठनों का दावा है कि कलकी अवतार के प्रकट होने का समय नजदीक आ गया है और कुछ का दावा है कि कलकी अवतार हो चुका है कल्कि अवतार को लेकर हिंदुओं में यह भ्रम और मतभेद क्यों है। क्या शंकराचार्य स्पष्ट करने की जिम्मेदारी नहीं रखते हैं। वर्तमान में भगवान कल्कि के नाम पर उत्तर प्रदेश के संभल में एक मंदिर बना है। उत्तर प्रदेश में सक्रिय कलकी संगठन का दावा है कल्कि अवतार के प्रकट होने का समय नजदीक आ गया है। 


इन लोगों का मानना है कि देवी जगत में कल्कि अवतार हो गया है। उनकी महान शक्तियां भक्तों की रक्षा के लिए इस जगत में चारों ओर फैल चुकी है। अब बस उनका केवल प्रकट होना रह गया। इसका तार्किक आधार यह है कि अवतार किसी समय सीमा में पढ़ा नहीं होता ।


कलयुग अभी कीतना बाकी है? 

पौराणिक मान्यता के अनुसार कलयुग 432000 साल का है। इसका भी प्रथम चरण ही चल रहा है। कलयुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व हुई थी ।


जब पांच ग्रह मंगल बुध शुक्र वृषप्ति और शनि मेष राशि पर जीरो डिग्री पर गए थे। इसका मतलब है कि 51900 साल कलयुग के बीत चुके हैं और 426881 साल अभी बाकी है और अभी से ही कल्कि की पूजा आरती और प्रार्थना शुरू हो गई है। 


कल्की अवतार कब होगा ? 

शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की 6 तारीख को भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यही कारण है कि तारीख को कलकी जयंती उत्सव के रूप में मनाया जाता है, 


कल्कि अवतार के जन्म के समय ग्रहों की जो स्थिति होगी। उसके बारे में दक्षिण भारतीय ज्योतिषियों की गणना के अनुसार जब चंद्रमा कुंभ राशि में होगा ।  सूर्य तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में उच्च होगा । गुरू स्वर्ची धर्म में और शनि अपने  उच्च राशि तुला में विराजमान होगा तब भगवान कल्कि का जन्म होगा और वह दुश्मनों का विनाश करके कलयुग को खत्म कर देगा।




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