Tuesday, March 7, 2023

बिहार में ग्रामीण गरीबी के चार प्रमुख कारणों को बताएं । इतना गरीब क्यों है

 

इस राज्य में विश्व के पहले गणतंत्र की स्थापना हुई हो जिस राज्य से भारत के ज्यादातर धर्म निकले, जिस राज्य से खुद भारत किस राज्य में दुनिया का पहला विश्वविद्यालय रहा हूं जो राज्य आईएएस की फैक्ट्री बोला जाता है वो राज्य आज भारत का सबसे पिछड़ा राज्य बन गया है। इससे ज्यादा दुर्भाग्य की बात क्या होगी? 

बिहार में ग्रामीण गरीबी के चार प्रमुख कारणों को बताएं । इतना गरीब क्यों है

खनिज संपदा से धनी इस राज्य की झोली अचानक कैसे हो गई। खाली और क्या रहे वह कारण जिसकी वजह से इतना संपन्न होने के बावजूद भी यह राज्य इतना पिछड़ गया और क्या है वह उपाय जिनको अपनाकर इस राज्य को दोबारा से एक संपन्न राज्य बनाया जा सकता है। 


बिहार में ग्रामीण गरीबी के चार प्रमुख कारणों को बताएं । इतना गरीब क्यों है

जी हां, दोस्तों हम बात कर रहे हैं। बिहार की ऐतिहासिक प्रमाण यह बताते हैं कि बिहार के जिला वैशाली में ही विश्व के पहले गणतंत्र की स्थापना हुई थी। राज्य भारत के सभी राज्यों के मुकाबले में लगभग हर चीज में पिछड़ा हुआ है। शिक्षा व्यवस्था ने इस राज्य को बदहाल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिर भी यहां के छात्र अपनी लगन और मेहनत के बलबूते यूपीएससी की परीक्षा में अपना परचम लहराते आए हैं। 


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एक जमाने में सिविल सेवा में बिहार का बोलबाला रहा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बिहार में 2.87 लाख व्यक्ति में से एक व्यक्ति आईएएस बनता है। वही देश में हर 12 आईएएस अधिकारी बिहारी है। वर्तमान में आईएएस कैडर की बात करेंगे तो करीब 4964 में से 416 आईएएस अफसर बिहार से है। बीते 10 सालों में करीब 25% आईएएस का संबंध बिहार से रहा है। 


लालू क्या - क्या किया था बिहारी के लिए ? 

बिहार के छात्रों को सिविल सेवा से इतना लगाव कामयाबी के पीछे है। लालू यादव का जंगल राज जंगलराज के उस दौर में अफसरशाही भी अपने चरम पर थी। लाल बत्ती और अंबेसडर कार की सनक सर पर सवार थी। यह वह दौर था जब बिहार के छात्र पद और पावर के पीछे भागे। इसका परिणाम ही सिविल सेवा की परीक्षा में देखने को मिला। आईएएस अफसर बनने के बाद सुरक्षा और देश की सेवा करने का मौका दोनों की गारंटी था। 


क्या सबसे ज्यादा IPS , Is बिहारी है ? 

राजनीतिक और सामाजिक सूझ बूझ में तेज बिहारियों के लिए यह काम आसान था। अखबार और चाय पर चर्चा बिहारियों को मानसिक रूप से सिविल सेवा के लिए तैयार कर देती है। सामान्य ज्ञान के साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में दिलचस्पी के लिए कामयाबी के द्वार खोल देती है। परिणाम यह है कि बीते 20 सालों में 3655 अफसरों की नियुक्ति हुई, जिसमें 251 बिहार से थे और यह जानते हैं। 


बिहार में कृषक मजदूरों की वर्तमान दशा एवं समस्याओं का उल्लेख 

उन कारणों के बारे में इसकी वजह से बिहार बर्बादी की कगार में पहुंच गया।  बिहार कृषि प्रधान राज्य है। इसकी मिट्टी बड़ी ही उपजाऊ है क्योंकि बिहार में बहुत सारी नदियां हैं। इसकी वजह से यहां पर सिंचाई की इतनी बड़ी समस्या नहीं है और यहां पर विशेषकर गंगा नदी के किनारे के मैदानी भाग बहुत ही ज्यादा उपजाऊ है। 


लेकिन बिहार की भौगोलिक स्थिति बहुत ही जटिल है। जहां बिहार के एक तरफ सूखा पड़ रहा होता है। वहीं पर बिहार का दूसरा कोना बाढ़ की मार झेल रहा होता है। जिस वजह से दोनों ही सूरतओं में यहां की कृषि पूरी तरह चौपट हो जाती है। 


बिहार इतना पीछे रहने का कारण भ्रटाचार 

भ्रटाचार की वजह से भी गरीबी आना स्वाभाविक है। अक्सर सरकारी अधिकारी कोई भी काम करने के बदले पैसा मांगने लगते हैं और योजनाएं सरकार चलाती है। वह आम लोगों के कल्याण के लिए होती है, लेकिन यही भ्रष्ट अधिकारी सरकारी योजनाओं के पैसों को लूट कर खा जाएंगे और आम लोगों तक कुछ भी नहीं पहुंच पाएगा। ऐसी स्थिति में जो पैसे वाला होगा वह तो आगे निकल जाएगा और जो पैसे वाला नहीं होगा, वह पता चला जाएगा। 


बिहार झारखंड अलग होने से बिहार पर गरीबी का असर आया है ? 

देश की आजादी के बाद बिहार के पहचान खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्य के रूप में होती थी। कोयला बॉक्साइट तथा लोहे का 50% और तांबा 100% बिहार में पाया जाता था। इसके बाद 15 नवंबर 2000 को झारखंड को बिहार से अलग किया गया और बिहार ने अपनी खनिज संपदा को खो दिया। फिर भी बिहार के प्रयास युवा वर्ग की एक बड़ी आबादी थी । लेकिन बिहार सरकार की उदासीनता ने इस राज्य को कई वर्ष पीछे धकेल दिया। 


पहले 15 साल लालू राबड़ी शासन ने राज्य को 0 पर लाकर खड़ा कर दिया। नीतीश सरकार भी अपने 15 साल के शासक में राज्य के अंदर मूलभूत सुविधाओं में कोई बड़ा बदलाव करने में नाकाम रही ।


बिहार में जातिवाद से बिहार गरीब है ? 

राजनीति जातिगत राजनीति बिहार की बहुत बड़ी समस्याओं में से एक है क्योंकि यहां पर कोई भी राज्य के विकास के लिए नहीं सोचता है। यह हर क्षेत्र में छोटे-छोटे प्रत्येक जाति के नेता जो सिर्फ और सिर्फ अपनी जाति की ही बात करेंगे तथा अपनी राजनीति को जाति के इर्द-गिर्द ही घूम आते रहेंगे। 


यहां पर जनता को भी ऐसे ही कैंडिडेट चाहिए जो कि उनकी जाति का हो उसके विकास से उनको कुछ लेना देना नहीं है। लगता है कि उनकी जाति का नेता होगा। उनकी ज्यादा उन्नति होगी तथा उनकी जाति का क्षेत्र में वर्चस्व होगा। जातिगत राजनीति के कुछ अच्छे परिणाम भी है, लेकिन एक राज्य तभी तरक्की कर पाएगा। जब प्रत्येक समुदाय तरक्की करेगा। 


बिहार जनसंख्या के कारण गरीब है ? 

आप बिहार के जनसंख्या का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि जब सरकार ने जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए विभिन्न प्रकार के अभियान चलाए तो पूरे देश में प्रजनन दर में 30% की आई । वही विहार में ये  गिरावट केवल 7.8% दर्ज की गई 4 राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार देश का प्रजनन दर 2.18% और बिहार का 3.4% बिहार में 42 फ़ीसदी बच्चियों की शादी 18 वर्ष की उम्र से पहले हो जाती है। जनसंख्या का सबसे बड़ा दबाव मूलभूत सुविधाओं पर पड़ता है। 


क्या लालू के कारण बिहार गरीब हो गया ? 

उद्योग की कमी लालू राबड़ी के 15 साल के शासनकाल में बिहार के उद्योगों की हालत पूरी तरह से चरमरा गई। क्राइम दर अधिक होने की वजह से कोई भी बड़ा। उद्योगपति बिहार में निवेश को तैयार नहीं हुआ जो उद्योगपति वहा थे।   बढ़ते क्राइम के डर से उन्होंने बिहार छोड़ दिया। 


तेजी से राज्य के इंडस्ट्रियल इलाकों की हालत बद से बदतर हो गई। बिजली आपूर्ति इनके बर्बादी का एक बड़ा कारण बना बीते 30 सालों में अंग्रेज सरकारी और गैर सरकारी कारखानों पर सरकार की अनदेखी की वजह से ताला लटक गया। समस्तीपुर के जूट मिल से लेकर इसका जीता जागता उदाहरण है।


बिहार में बुखमरी से मरने वाला बच्चा साल का कितना हिस्सा होता है ? 

बुनियादी सुविधाओं की कमी बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं का अंदाजा लगाना है तो आप अप्रैल 2020 में सामने आई उस वीडियो को याद कीजिए। जब एक मां अपने 3 साल के मृत बेटे के मुर्दा शरीर को लेकर 3 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चली थी। नवजात शिशु की मौत के मामले में बिहार चौथे पायदान पर है। सड़क की हालत ऐसी है कि बिहार में सालाना करीब 10,000 सड़क दुर्घटना दर्ज की जाती है। बिहार के शिक्षा व्यवस्था को आप रुबी रॉय के टॉपर घोटाले से याद कर सकते हैं। बिहार का कोई भी विश्वविद्यालय शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी टॉप विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल नहीं है। 


भारत का सबसे गरीब राज्य बिहार है ? 

गरीबी आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है ।  गरीबी सूचकांक ग्लोबल मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स एमपी के अनुसार बिहार देश का सबसे गरीब राज्य है। स्वास्थ्य शिक्षा और जीवन स्तर पर आधारित इस रिपोर्ट में कहा गया है ।


कि बिहार के 38 जिले में से 11 जिले में हर 10 में से छह व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करता है अररिया और मधेपुरा जिले में यह आंकड़ा 7 तक पहुंच जाता है। तेंदुलकर कमेटी की 2011, 2012 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 33.17 फ़ीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी गुजारते हैं।


बिहार में बाढ़ के कारण बिहार गरीब बनाता जा रहा है ? 

केंद्र सरकार की उपेक्षा बिहार बीते कई सालों से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहा है। बिहार के करीब 15 जिले बाढ़ प्रभावित हैं। प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ से बिहार को करोड़ों रुपए का नुकसान होता है। बाढ़ के खत्म होने के बाद स्कूल अस्पताल सड़क और मकान के पुनर्निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। 


नुकसान के अनुरूप केंद्र सरकार से उतनी मदद नहीं मिलती है। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से बिहार को प्रत्येक वर्ष 90% अनुदान प्राप्त होगा। इसके अतिरिक्त विशेष दर्जा प्राप्त राज्य को एक्साइज कस्टम्स कॉरपोरेट्स इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है। 


तो दोस्तो क्या आप भी बिहार से है । तो आप को एक और जानकारी देंगे । जिसे आपको बिहारी होने पर फक्र महसूस होगा । Esme बताए गए जानकारी आपको क्या सही लगा या गलत हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । और इसे ही जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग को subscribe जरूर करें । आज के लिए बस इतना ही धनायद ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


बिहार में कृषक मजदूरों की वर्तमान दशा एवं समस्याओं का उल्लेख करें

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