Sunday, May 28, 2023

आने वाले कल का मौसम कैसा रहेगा - आज रात का मौसम कैसा रहेगा

 

जब भी मौसम में बदलाव होने वाला होता है, उससे पहले ही मौसम विभाग आपको इस बदलाव के बारे में सचेत कर देता है अक्सर देखने को मिलता है कि अगर बारिश आने की संभावना होती है या फिर तापमान में ज्यादा बदलाव होने वाला होता है तो मौसम विभाग बता देता है कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है। 

आने वाले कल का मौसम कैसा रहेगा - आज रात का मौसम कैसा रहेगा

अधिकतर समय ये संभावना सच भी होती है और लोग इन संभावनाओं के हिसाब से अपने आगे के प्लान बना लेते हैं। अब मौसम विभाग पूर्वानुमान को लेकर काफी सटीक होने लगा है और तकनीकों का सहारा भी लिया जा रहा है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान को लेकर कभी आपने सोचा है कि आखिर मौसम विभाग किस आधार पर यह गणना करता है कि आने वाले दिनों में क्या होने वाला है और अब मौसम कैसा रहेगा ।


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आने वाले कल का मौसम कैसा रहेगा - आज रात का मौसम कैसा रहेगा

तो आज हम आपको बताते हैं कि मौसम विभाग कैसे मौसम का पता करता है और किन तकनीकों का सहारा लिया जाता है। जानने के लिए बने रहिए। हमारे साथ पोस्ट के एंड तक कैसे लगता है मौसम का पूर्वानुमान एक रिपोर्ट के अनुसार मौसम का बदलाव एक अस्थान या समय पर हवा की स्थिति के हिसाब से होता है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है और इन हवा की स्थिति के जरिए मौसम का पूर्वानुमान लगाना काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है। 

आने वाले कल का मौसम कैसा रहेगा - आज रात का मौसम कैसा रहेगा


मौसम के पूर्वानुमान की प्रक्रिया अलग-अलग तिथियों पर जुटाए गए डाटा के आधार पर की जाती है और उन डाटा का अध्ययन करके अनुमान लगाया जाता है। वर्तमान स्थिति और उसके बदलाव का पूर्वानुमान है जिन् एस्तित्यों का डाटा जुटाया जाता है उनमें सभी ने अवलोकन विमान से अवलोकन रेडियो, ध्वनि, डॉप्लर, रडार, सेटेलाइट आदि शामिल है। 


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इन सूचनाओं को मौसम विज्ञान केंद्र को भेजा जाता है। जहा इस डेटा के आधार पर वैज्ञानिक पूर्व अनुमान लगाते हैं। हालांकि इसमें हाई स्पीड, कंप्यूटर, ऊपरी हवा के नक्शे आदि का भी अहम रोल होता है। डाटा और इन नक्शों के जरिए अंदाजा लगाया जाता है। बता दें कि यह अनुमान भी कई आधार पर लगाया जाता है। जैसे एक अवलोकन लंबे समय के लिए होता है ।


तूफान अगले 3 घण्टे में आएगा या नहीं कैसा पता चलेगा ? 

तो उसी दिन का अनुमान होता है। जैसे कई बार साल में मानसून कैसा रहेगा। उसकी जानकारी लेनी है तो कई बार तूफान है। 3 घंटे में कहां रहेगा इसलिए समय के आधार पर अलग-अलग पूर्वानुमान मौसम विभाग की ओर से लगाए जाते हैं। इन उपकरणों का लिया जाता है। सहारा मौसम के पूर्वानुमान के लिए हाई स्पीड कंप्यूटर मौसम संबंधी उपग्रह और मौसम रडार अहम भूमिका निभाते हैं। 


इनके जरिए सटीक डाटा प्राप्त करने में मदद मिलती है और धीरे-धीरे इन टेक्नोलॉजी में सुधार हो रहा है और इसका नतीजा है कि मौसम विभाग का अनुमान सटीक होता जा रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो मौसम पूर्वानुमान के लिए सबसे पहले मौसम और मौसमी आंकड़ों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त की जाती है। इसके साथ ही हवाओं के रुख के जरिए  तापमान दाद के बारे में पता किया जाता है। इसके साथ ही इसमें डॉप्लर रडार के आंकड़ों का भी इस्तेमाल होता है । और फिर डेटा विश्लेषण के साथ मौसम भविष्यवाणी होती है। 


बारिश को कैसे मापा जाता है ? 

आपको बता दें कि बारिश को मापने के लिए एक खास तरह के यंत्र या उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है जिसे वर्षा मापी यंत्र या रेन को कहा जाता है इस यंत्र को ऐसे जगह लगाया जाता है जहां आसपास पेड़ पौधे या दीवार ना हो। मतलब इन्हे खुले स्थान पर लगाया जाता है जिससे कि बारिश का पानी सीधे इस यंत्र में जाए। 


बारिश को मापने वाला यंत्र कैसा होता है ?  

 यह यंत्र एक सिलेंडर जैसा होता है और इसका जो ऊपरी हिस्सा होता है, उनमें एक कीप लगी होती है या फिर इस यंत्र का जो ऊपरी हिस्सा होता है, वह कीप के जैसा होता है। इस कीप में बारिश का पानी जाता है और इस यंत्र के नीचे लगे बोतल जैसे पात्र में इकट्ठा हो जाता है कि पहला रेनबो ब्रिटेन के क्रिस्टोफर रेन साल 1662 में बनाया था। यहां आपको एक और बात बता दें कि वर्षा मापी यंत्र कई तरह के सकते हैं ।


और बारिश को ज्यादातर सेंटीमीटर और इंच में ही मापा जाता है। एक आदर्श वर्षा मापी वह होता है जिसमें एक खोखला बेलन है और उसके अंदर बोतल हो जिसके ऊपर एक कीप लगी हो। बारिश का पानी पी के जरिए बोतल में इकट्ठा हो जाता है जिसे बाद में मापक के जरिए माफ किया जाता है। आपको बता दें कि इस काम में ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट का समय लगता है। 


बारिश का माप कैसे लिया जाता है? 

जब भी वर्षा के माप ना होती है तो इस यंत्र के बाहरी सिलेंडर को खोलकर बोतल में इकट्ठे हुए पानी को एक भी कर में डाल दिया जाता है। यह भी कर कांच का बना होता है और साथ ही इस बिगर में मिली मीटर प्रिंट होते हैं और जीतने मिली मीटर पानी इस बीकर में आता है। यही बारिश की माप मानी जाती है। यह आपको एक और बात बता दें कि जितनी ज्यादा बारिश का मापक किलोमीटर में आता है, यह जितनी ज्यादा मिलीमीटर होता है । बारिश भी उतनी ही ज्यादा होती है। 


बारिश का माप कितनी बार लिया जाता है ? 

आमतौर पर बारिश का माप दिन में एक बार लिया जाता है, लेकिन मॉनसून के समय बारिश का माप दिन में दो बार लिया जाता है। अलकमा ही काम शुरू होते ही किसान से लेकर आम आदमी को यह जानने में दिलचस्पी रहती है कि इस बार मानसून कैसा रहेगा और हर कोई मॉनसून के बारे में जानना चाहता है और जानना चाहता है कि इस बार कैसी बारिश होने वाली है। 


इसका अंदाजा लगाने के लिए मौसम वैज्ञानिक काम करते हैं और समुद्र में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हैं ताकि पता लगाया जा सके कि इस बार मौसम कैसा रहने वाला है मॉनसून के अनुमान में लिलिना का अहम योगदान रहता है और उसके हिसाब से मॉनसून का अंदाजा लगाया जाता है। साथ ही इसकी वजह से होने वाली गतिविधियों पर नजर रखकर ही आगामी मौसम का पता किया जाता है। ऐसे में जानते हैं कि ।


लिलीना क्या है ? 

और किस तरह इसे भारत में मॉनसून का अंदाजा लगाया जाता है और लिलिणा का क्या प्रभाव रहेगा। कैसे चलता है मॉनसून का पता दर्शल मॉनसून का पता लगाने के लिए मॉनसून वॉच भूमध्य रेखीय प्रशांत महासागर के पश्चिमी और पूर्वी बेसन में सीसा विन टेंपरेचर पैटर्न पर नजर रखते हैं। यह नीनो या लालिणी की वजह से प्रभावित होते हैं और जिसे एल नीनो सदन ऑस्किलेशन साउदर्न ऑस्किलेशन कहा जाता है। 


इसमें दो तरह की गतिविधियां होती हैं, जिसमें एक का नाम है, अन्नीनो और दूसरा का एलिना इसमें ला नीना भारत में अच्छे मॉनसून के लिए जाना जाता है। जबकि एल नीनो इसके बिल्कुल विपरीत है और इसके वजह से मोनसोम नहीं आता है। हालांकि साल 1997 में इसके विपरीत हो गया था क्योंकि इन दिनों के बाद भी देश में अच्छा मानसून आया था। क्या होता है ।


अन्नीनो क्या होता है ? 

एन नीनो की वजह से प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह गर्म हो जाती है। इससे हवाओं के रास्ते और रफ्तार में परिवर्तन आ जाता है जिसके चलते मौसम चक्र बुरी तरह से प्रभावित होता है मौसम में बदलाव के कारण कई स्थानों पर सूखा पड़ता है तो कई जगहों पर बाढ़ आती है। इसका असर दुनिया भर में दिखाई देता है। अल नीनो बनने से भारत और ऑस्ट्रेलिया में सूखा पड़ता है। जबकि अमरीका में भारी बारिश होती है। 


क्या है ललीना ? 

ललिना पूर्वी प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर यह स्थिति पैदा होती है। इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। ला नीना से चक्रवात पर भी असर होता है। यह अपनी गति के साथ उष्णकटिबंधीय चक्रवात ओं की दिशा को बदल देती है। इससे इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में काफी बारिश होती है। साथ ही भारत में अच्छी बारिश भी होती है।  


तो दोस्तो उम्मीद करता हू । की आप ये समझ गए होंगे । की हमारा आज का मौसम कैसा रहेगा । और आने वाले कल का मौसम कैसा रहेगा । बल्कि क्या आपके मन में कोई सवाल है । तो।आप हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं । ताकी आपके सवालों को pin किया जा सके । 


आज का मौसम कैसा रहेगा बारिश होगी या

30 | दिन का मौसम

कल का मौसम कैसा रहेगा

आज बिहार में बारिश होगी

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