नमस्कार आपका स्वागत है। हिंदू धर्म संस्कृति में सूर्य को देवता माना गया है। अत्यंत प्राचीन काल से सूर्य देव की उपासना की परंपरा चली आ रही है। पांच प्रमुख देवताओं में सूर्य देवता का भी समावेश होता है। हमारी संस्कृति में किसी भी मांग लीक और शुभ कार्य में पंच देवताओं का पूजन करने की परंपरा है । ये पांच देवता है। विष्णु शिव गणेश सूर्य और शक्ति आनी मां दुर्गा । इन 5 दिनों में सबसे पहले सूर्य देवता की उपासना करने की परंपरा है।
सूर्य को अर्घ्य देते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
रवि विनायक चंडी, यीशु, विष्णु सत्य, वचन, अनुक्रमण पूज्यंते विक्रम हेतु महत्व एवं इसका अर्थ है जो भी व्यक्ति पंच देवताओं की उपासना करता है उसे सूर्य देवता श्री गणेश मां दुर्गा भगवान शिव और भगवान विष्णु इस क्रम में पांचों देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सूर्य संपूर्ण सृष्टि के प्रत्येक जीव का आधार होता है ।
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सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए ?
सूर्य देवता के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। परंतु जय श्री सूर्य देवता की उपासना करने की परंपरा अत्यंत प्राचीन काल से ही चली आ रही है। सूर्य देवता की पूजा के साथ ही उन्हे अर्गा देना चाहिए। सूर्य देवता को अर्घ्य देने से मनुष्य के जीवन में कई सकारात्मक और चमत्कारी परिणाम होते हैं।
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हमेशा अधिकांश लोगों को सूर्य देवता को अर्ग देने संबंधी पूरी जानकारी नहीं है। आज के इस पोस्ट में हम आपको इसी विषय पर विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे कि सूर्य देवता को आर्ग कैसे देना चाहिए। कहां देना चाहिए और आर्ग देते समय कौन से नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे सूर्य देवता प्रसन्न है। उसका पूर्ण फल प्राप्त हो।
आर्ग देने का अर्थ क्या होता है ?
आर्ग देने से तात्पर्य यह है कि सूर्य देवता को भक्ति भाव से जल अर्पण करना यह जल दोनो हाथो से उर्जल बनाकर या तांबे के पात्र में शुद्ध जल भरकर उसे सूर्य देवता को समर्पित करें। लेकिन ध्यान रखिए यदि आप हाथो के कुंजल बनाकर सूर्य देवता को आर्ग दे रहे तो अपने हाथों की तर्जनी और अंगूठे को एक दूसरे से जोड़कर ना रखे ।
यानी कि एक दूसरे का स्पर्श ना होने दें। दोनों हाथों के अंगूठे को फैला कर रखिए। यदि तर्जनी और अंगूठे को जोड़ कर रखते हैं तो यह राक्षस मुद्रा बन जाती है । और इस मुद्रा में सूर्य को अर्घ्य देना अशुभ माना जाता है। यदि आप पात्र में जल भरकर सूर्य देवता को आर्ग दे रहे हैं तो भी उस पात्र को दोनों हाथों के अंगूठे का एक दूसरे से ना जुड़े हो। इसका ध्यान रखे ।
सूर्य देवता को तीन बार आर्ग दे ?
आर्ग देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें। सूर्य देवता के इस मंत्र का जाप करें ओम अहि सूर्य प्रांशु तेजो राशि जगतपति अनुकंपा, यह मामबत्तियां ज्ञानार्जन नमोस्तुते अथवा ओम सूर्याय नमः ओम भास्कर आए नमः
इन छोटे मंत्र का जाप कर सकते हैं इस प्रकार से सूर्य देव का नमस्कार करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और आर्ग देने से संपूर्ण फल मिलता है।
अर्ध्य देते समय अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाकर पात्र को पकड़े और सिर झुका कर रखे। सूर्य देवता को आर्ग हमेशा सूर्योदय के समय यानी कि सूर्य उगते समय ही दे । उगते हुए सूर्य की उपासना करना हमेशा ही शुभ होता है। सूर्य देव के 2 घंटे के बाद आर्ग देने का कोई भी फल प्राप्त नहीं होता। यदि किसी कारणवश आज सूर्योदय के समय आर्ग ना दे सके तो 3 बार आर्ग देने के बजाय चार बार आर्ग दे । और सूर्य देवता से क्षमा मांग ली। इससे दोष कम हो जाता है
सूर्य को आर्ग कैसे देना चाहिए?
सूर्य देवता को आर्ग देने के लिए तांबे का पात्र में नदियों का जल भरे यदि ऐसा संभव नहीं है तो शुद्ध जल का प्रयोग करें। केवल जल से आर्ग कभी ना दे पात्र में जल के साथ मुख्य रूप से कोई भी लाल फूल लाल चंदन और आरक्षक जरूर डालें।
आप चाहे तो इस जेल में थोड़ा सा घी शहद, दूध, रोली, मिश्री या गुड़ इत्यादि भी मिला सकते हैं। पांचवा सूर्य देवता को प्रतिदिन नियम पूर्वक आर्ग देना अपने सूर्य देवता को नियमित रूप से अर्घ्य देने का संकल्प लिया है तो उसे किसी भी प्रकार से पूरा करें। यदि आप बीमार है घर से बाहर है घर में कोई कार्य प्रत्याशी तक तो भी ऐसी स्थिति में सूर्य देवता को मानस पूजा यानी कि मन ही मन पूजा करते हुए आर्ग दे ।
सूर्य पूर्व दिशा से होता है । यदि किसी कारणवश सूर्य देवता दिखाई ना दे तो आप उनके मन ही मन सेवन्न करके पूर्व दिशा की ओर मुख करके उन्हे आर्ग दे । लेकिन कभी भी सूर्य को अर्घ्य देने का संकल्प ना छोड़े ।
यदि आपके घर में सूर्य देवता को आर्ग देने के देने के लिए कोई स्थान नहीं तो अपने घर के ईशान कोण में पूर्व दिशा की ओर मुख करके खड़े रहकर भी सूर्य देवता को आर्ग दे सकते हैं। एक पात्र को नीचे रख ले और आर्ग के जल को उस में गिरा है। पात्र में कटा किया गया जल को घर में किसी भी पौधे में डाल दे । लेकिन तुलसी की क्यारी में भूल से भी ना डालें। तुलसी भी भगवान का रुप होती और तुलसी में भी हमेशा शुद्ध जल ही अर्पण करना चाहिए।
सूर्य देवता को पूजा करने से क्या लाभ मिलता है ?
अब हम सूर्य देवता को आर्ग देने के संबंधी सारे नियम जान लिए है । अब हम जानते हैं की सूर्य देवता को आर्ग देने की क्या लाभ होते हैं? सबसे पहला और महत्वपूर्ण लाभ तो यह होता है कि सूर्य देवता को आर्ग बहुत ही प्रयोग होता है और सूर्य देवता की उपासना करने से उन्हें आर्ग देने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और अर्घ्य प्रदान करने वाले व्यक्ति को बल, बुद्धि, शक्ति और आरोग्य प्रदान करते हैं ।
और साथ ही उस व्यक्ति की स्मरण शक्ति भी तेज होती है। सूर्य को पृथ्वी के सभी जीवो की आत्मा कहा जाता है। इसलिए सूर्य देवता की उपासना करने से आत्मा की शुद्धि होती है और मनोबल बढ़ता है । सूर्योदय के समय सूर्य किरणों से वातावरण की ऊर्जा प्रसन्न पवित्र और सतर्कता से भरी हुई होती है। इसलिए प्रतिदिन इस समय स्नान आदि करके देव पूजा करके सूर्य देवता को अर्घ्य देने से और सूर्य मंत्र का उपकरण करने से हमारा संपूर्ण जीवन आनंदमय रहता है।
सूर्य को जल देने से कुंडली दोष मिटता है ?
और पाप भय , रोग , और दोष से मुक्ति मिलती है। शरीर ऊर्जावान और स्फूर्ति वन होता है और कार्य करने का उत्साह होता है । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में रवि दोष होता है, उन्हे रविवार को व्रत करना चाहिए और प्रतिदिन सूर्य देवता को अर्घ्य देना चाहिए तो यह महत्वपूर्ण बातें जो आर्ग देते समय स्वर्ग देते समय हमें ध्यान में रखनी चाहिए।
तो दोस्तो उम्मीद करता हूं कि ये जानकारी आपको अच्छा लगा होगा। तो क्या आपके मन मे कोई सवाल है । तो आप हमे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। ताकि हम आपके हर सवालों का ज़बाब दे सके। आज के लिए इतना ही अब हम चलते है। फीर मिलेंगे न्यू जानकारी के साथ तब तक हमारे ब्लॉग के अंत तक बने रहने के लिए आप सभी लोगो को दिल से धन्यवाद ,,,,,,,,,,,,,,,,,
सूर्य को अर्घ्य देते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
क्या शनिवार को सूर्य को जल देना चाहिए?
सूर्य भगवान के जल में क्या क्या डालना चाहिए?
सूर्य मंत्र कैसे बोला जाता है?
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