Monday, September 4, 2023

कलयुग में सबसे बड़ा पाप क्या है

 

श्री कृष्ण के अनुसार सबसे बड़ा पाप क्या है मित्रों इस धरा पर कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिससे पाप नहीं हुआ होगा । जाने अनजाने में प्रतेयक मनुष्य पाप का भागी बन जाता है लेकिन कई लोग ऐसे भी होते हैं जो जानबूझकर भी पाप करते हैं। 

कलयुग में सबसे बड़ा पाप क्या है

श्री कृष्ण ने इसकी असली वजह बताई है कि आखिर मनुष्य जानबूझकर पाप का घड़ा क्यों भरता है। दोस्तों इसके लिए आपको द्वापर युग में जाना होगा। जब कृष्ण और अर्जुन एक दूसरे से बात कर रहे थे। 


इस दौरान कुंती पुत्र अर्जुन के मन में सवाल आता है और वह केशव से पूछते हैं कि मनुष्य को कई बार पता होता है कि वह क्या गलत कर रहा है और क्या सही कर रहा है। इस के बावजूद भी वह गलत रास्तों को चुन लेता है और पाप कर बैठता है। है कृष्णा ऐसा क्यों होता है । 


कलयुग में सबसे बड़ा पाप क्या है

अर्जुन का यह सवाल सुनकर श्री कृष्ण मुस्कुरा उठते हैं और बोलते हैं कि हे पार्थ तुम्हारी बात बिल्कुल सही है कि मनुष्य जब सब कुछ जानते हुए भी अपराध और पाप करता है । लेकिन वे यह खुद नहीं करता। उससे कर वाया जाता है। दरअसल इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है। क्रोध और लोभ । 


क्रोध और लोग कामना से उत्पन्न होता है और यह काम ना इतनी भयानक होती है कि मनुष्य से पाप कराकर की ये दुर्गति करती है। मित्रों हम सब को भी पता है कि मनुष्यो का अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना कितना मुश्किल है और दूसरी बात यह है कि इन्हीं इंद्रियों में कामना का वास होता है और यह कामना ना सिर्फ पाप करवाता है बल्कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन भी होता है। 


पाप कर्म भेदने और इससे बचने का उपाय ? 

ज्ञान की प्राप्ति दोस्तों कामना कि वजह से मनुष्य जो भी पाप होता है, उसके लिए पुराणों में सजा भी निर्धारित है। गरुड़ पुराण में श्री हरि ने पक्षीराज गरुड़ को किस तरह के पाप करने पर किस तरह की सजा निर्धारित है। 


चोरी करना 

मित्रों अगर कोई इंसान चोरी करता है या उसके चोरी वाली काम में कोई उसका साथ देता है तो ऐसे लोगों को तामि नामक दुख भोगना पड़ता है। वही उसे कीड़े मकोड़े कि योनि में जगह मिलती है। योनि तो आप जानते ही होगे जो 840000 योनियां पुराणों में बताए गए हैं। 


वही कोई इंसान अपने ही घर का सामान चुराता है । तो वह गिद्ध की योनि में जाता है और दूसरे का पैसा और संपत्ति लूटने वाला इंसान अब शुमार रोग से ग्रस्त हो जाता है। 


दूसरे के पत्नी के साथ संबंध रखने वाले ? 

मित्रों दूसरे के पत्नी के साथ संबंध रखना पाप नहीं बल्कि महा पाप माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार जो ऐसा करता है यानी कि जो पराई स्त्री के साथ संबंध रखता है, उसे गर्म सलाखों के अंदर डाला जाता है और मित्रों इसके लिए दूसरी सजा यह है कि उस पापी व्यक्ति को वहा पहले भेड़िया या फिर कुत्ता के गिद्ध सियार साफ कौवा और आखिर में बगुले की योनि प्राप्त होती है । 


और यह पुरा जन्म और मृत्यु का साइकिल कंप्लीट होने के बाद ही उसे मनुष्य योनि मिल पाती है। शास्त्रों में बताया गया है। देवताओं और पूर्वजों को खुश किए बिना बनने वाले इंसान को 100 सालों तक कौआ की योनि में जन्म मिलता है। उसके बाद मुर्गा फ़िर 1 महीने में सांप की योनि में रहने के बाद उसके पापों का अंत होता है। तब जाकर उसे मनुष्य के रूप में जन्म मिलता है। 


धर्मपत्नी को छोड़ना ? 

मित्रों जो इंसान अपनी धर्म पत्नी को छोड़ने का पाप करता है। वह अगले जनम में गंध माल नाम के महा रोग से पीड़ित रहता है और इसके अलावा जो स्त्री के बल पर दुनिया में जी रहा होता है । वह दूसरे जन्म में लंगरा पैदा होता है। 


हत्या करना 

मित्रों हत्या को पुराणों में एक महापाप माना गया है। अगर कोई इस पाप का भागीदार बनता है तो उसके अगले जनम में गधे का रूप मिलता है। इसके अलावा दोस्तों वह इन्सान जो अस्त्र-शस्त्र से हत्या करता है। उसी से उसकी भी हत्या हो जाए तो उसे मृग योनि मिलती है जिसके बाद वह मछली कुत्ता और बाघ बनता है और इन योनियों में जन्म लेकर अंतिम में वह मनुष्य योनि में जन्म लेता है। 


शारीरिक शोषण करने वाला ? 

मित्रों पुराणों में शारीरिक शोषण करने को भी पाप माना गया है। खाश कर वो लोग जो महिलाओं का शोषण करते हैं उन्हें अगले जन्म में कई तरह की भयंकर बीमारियां हो जाती हैं। श्री कृष्ण कहते हैं कि सबसे बड़ा पाप भ्रूण हत्या का लगता है । 


भ्रूण हत्या का पाप ? 

जो लोग इस कर्म को अंजाम देते हैं। उन्हे नर्क में तरह-तरह की यातनाएं झेलनी पड़ती हैं और उसके बाद उस मनुष्य का जन्म चांडाल योनि में होता है। दरअसल महाभारत में से जुड़े किस्सा भी है। महाभारत की लड़ाई खत्म होने के बाद जब द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रहे बालक परिक्षेत्र ब्रह्म अस्त्र के प्रयोग करके उसकी हत्या कर दी थी ।


तब भगवान श्रीकृष्ण को बहुत ज्यादा गुस्से में देखा गया था। श्रीकृष्ण ने उस समय साफ-साफ बोल दिया था कि अश्वत्थामा का पाप सबसे बड़ा पाप है क्योंकि उसने कजन में बालक की हत्या की थी। श्री कृष्ण ने इसके लिए श्राप भी दिया था। दरअसल इसके लिए वसुदेव पुत्र ने अश्वत्थामा के सर पर लगा चिंतामणि रत्न छीन लिया और श्राप दिया कि तुमने जन्म तो देखा है लेकिन व्यक्तियों को नहीं देख पाओगे ।


आणि जब तक श्रृष्टि रहेगी। तुम धरती पर जीवित रहोगे और दुख के भागी बने रहोगे तो मित्रो हमने आपको बताया कि कृष्ण के अनुसार मनुष्य के पाप करने की असीम भाषा क्या है और किस पाप के बाद की योनि में आपको अगला जन्म होगा ।


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